राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत भारत के लिए बड़ा झटका? ईरान के साथ कैसे आगे बढ़ेगी दोस्ती

तेहरान/नईदिल्ली

मध्य एशिया में चल रहे तनाव के बीच ईरान पर ही स्थिरता और शांति के लिए सभी की नजरें थीं। इसी बीच राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की चॉपर दुर्घटना में मौत हो गई। अब अगला राष्ट्रपति कौन बनेगा? यह बात भारत के लिए भी इसलिए मायने रखती है क्योंकि भारत ईरान से संबंध बढ़ाने पर जोर दे रहा है। सूत्रों का कहना है कि अली खामेनेई ईरान के राष्ट्रपति पद की दौड़ में सबसे आगे हैं। रईसी की अचानक मौत के बाद उनके बारे में चर्चा होने लगी है।

63 साल के रईसी 2021 से राष्ट्रपति थे। वहीं उन्हें ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई का उत्तराधिकारी भी माना जा रहा था। अब कहा जा रहा है कि खामेनेई के बेटे मोजताबा खोमैनी सुप्रीम लीडर के उत्तराधिकारी हो सकते हैं। हालांकि उनके पास उतना अनुभव नहीं है। रईसी को अपने कड़े फैसलों के लिए जाना जाता था। बीते सालों में रईसी ने ऐसे कई फैसले किए जिससे अमेरिका भी सकते में आ गया। ईरान के परमाणु कार्यक्रम से पूरे यूरोप में खलबली मच गई थी। ईरान की ही वजह से अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ने P5+1 डील से अलग होने का फैसला कर लिया था। इसके बाद जो बाइडेन के प्रशासन में भी बात बन नहीं पाई।

भारत के लिए क्यों अहम है ईरान
ईरान की राजनीति भारत के लिए मायने रखती है। चॉपर दुर्घटना में रईसी की मौत के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने इसपर दुख जताते हुए कहा कि वह इस कठिन समय में ईरान के साथ खड़े हैं। सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर उन्होंने ट्वीट किया, इस्लामिक रिपब्लिक ईरान के राष्ट्रपति डॉ. सैयद इब्राहिम रईसी की अचानक मौत पर हमें बेहद दुख है। ईरान और भारत के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए उनको याद किया जाएगा। उनके परिवार और ईरान के लोगों के साथ मेरी संवेदना है। ऐसे कठिन समय में भारत ईरान के साथ खड़ा है।

भारत सरकार ने मंगलवार को एक दिन के शोक की घोषणा भी की है। मंगलवार को कई भी आधिकारिक मनोरंजन का कार्यक्रम नहीं होगा इसके अलावा राष्ट्र ध्वज आधा झुका रहेगा। बता दें कि अगस्त 2023 में ही ब्रिक्स सम्मेलन से इतर पीएम मोदी ने रईसी से बात की थी और चाबहार समझौते को आखिरी चरण तक पहुंचाया था। इसके बाद पिछले सप्ताह ही ईरान और नई दिल्ली के बीच तेहरान में 10 साल के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए जो कि अमेरिका को नागवार गुजरा।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ईरान के विदेश मंत्री अमीर हुसैन के साथ कई बार फोन पर भी बात कर चुके हैं। हाल ही में भारतीय नाविकों को ईरान की नौसेना ने पकड़ लिया था। इसके बाद उन्हें छुड़वाने के लिए भी जयशंकर ने ईरान के विदेश मंत्री से बात की थी। बता दें कि इस चॉपर दुर्घटना में राष्ट्रपति रईसी के साथ ही विदेश ंमंत्री की भी मौत हो गई है। ईरान और भारत के बीच पुराने व्यापारिक और राजनीतिक संबंध रहे हैं।

मार्च 1950 में ही दोनों देशों के बीच दोस्ती की संधि पर हस्ताक्षर हुए थे। अप्रैल 2001 में पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेटी ने ईरान की यात्रा की थी और  तेहरान डेक्लेरेशन पर साइन किए गए थे। इसके बाद ईरान के राष्ट्रपति भी भारत आए थे और नई दिल्ली डेक्लेरेशन 2003 में साइन हुए।

ईरान के सिस्तान बलूचिस्तान प्रांत में चाबहार बंदरगाह है जहां समंदर काफी गहरा है और भारी पोतों के लिए यह बंदरगाह काफी अनुकूल है। ऐसे में माना जा रहा है कि भारत, ईरान, अफगानिस्तान और अन्य देशों के बीच चाबहार समझौता चीन के बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव का जवाब है। भारत ने इस समझौते के लिए अमेरिकी चुनौती की भी परवाह नहीं की। अब सवाल है कि ईरान की राजनीति में होने वाली उथल पुथल का असर इस समझौते पर कितना पड़ेगा।

 

India Edge News Desk

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